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सुधियों के द्वारे बंद करूँ / उर्मिल सत्यभूषण

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मैं बीते कल का गीत नहीं
भावी कल से मुझे प्रीत नहीं
मैं गीत आज का गाती हूँ
पलकों पर इसे बिठाती हूँ
सुधियों के द्वारे बंद करूँ
अमृतघट अपना क्यों न भरूँ
वह हार नहीं
वह जीत नहीं
मैं बीते कल का गीत नहीं
अपना सर्वस्व न
क्यों खो दूं
मैं पूर्ण समर्पित
ही हो लूं
क्या मिला मुझे
वह गीत नहीं
मैं बीते कल
का गीत नहीं।