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सुनगत कहिया? / आभा झा
Kavita Kosh से
हृदयक एकचारी में पजरल एकचुल्हिया,
धुँआ रहल कोकनल जारनि सुनगत कहिया?
मन डेकची में खदकि रहल भावक खिच्चड़ि,
मुड़िआरी द 'क' देखी नित नमरि-नमरि,
उठा-उठा पुनि-पुनि राखल ढाकन करिया
धुँआ रहल कोकनल जारनि सुनगत कहिया?
फूँकि-फूँकि अपस्याँत भेलहुँ नोरे-झोरे
आँखि लगय करजन्नी सन पोरे-पोरे
लाबनि पर लुक-झुक करैछ आसक डिबिया...
धुँआ रहल कोकनल जारनि सुनगत कहिया?
उर अंतर उत्साहक गाछ रहै पांगल,
कामनाक खुहरी हम बीछि-बीछि आनल,
परिस्थितिक रौदा में राखल भरि पथिया...
धुँआ रहल कोकनल जारनि सुनगत कहिया?
दिन घुरतै तऽ पूर हेतै सभटा सपना,
रान्हि पका हम बाँटब निश्चय भरि अंगना,
कह-कह कऽ संघर्ष आगि धधकत जहिया...
धुँआ रहल कोकनल जारनि सुनगत तहिया।!