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सुनामी लहरों की तैयारियाँ बताती हैं / जहीर कुरैशी

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सुनामी लहरों की तैयारियाँ बताती हैं
समंदरों की कलाकारियाँ बताती हैं

वो चाहता है बहुत किन्तु उड़ नहीं पाता
किसी परिन्दे की लाचारियाँ बताती हैं

हैं गीले उपले या सूखा है लकड़ियों का बदन
हमेशा चूल्हे की तैयारियाँ बताती हैं

प्रवेश रात में किसको दिया था माली ने
बलात झेल चुकीं क्यारियाँ बताती हैं

न मानता है न मानेगा बंदिशें बचपन
असंख्य बच्चों की किलकारियाँ बताती हैं

किसी गिलहरी ने खाए हैं किस कदर कोड़े
बदन पे उभरी हुईं धारियाँ बताती हैं

घटे हैं तन मगर बढ़ गए हैं तन के रोग
हमारे दौर की बीमारियाँ बताती हैं