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सुना दो, वही सुरीली तान / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
फिर आया हूँ पास प्रियतमे!
अब दो थोड़ा ध्यान
सुना दो, वही सुरीली तान
जिसको सुन मन झंकृत होता
प्रेम-सिन्धु में लगता गोता
झूमझूम कर सभी नाचते
हो दर्शक या कोई श्रोता
रोमरोम जब पुलकित होकर
गा लेता मृदु गान
मैंने तुमसे प्यार किया है
सारा जीवन वार दिया है
तुम भी अपनी हामी भर दो
दिल से जब स्वीकार किया है
हृदय समर्पण मात्र चाहता
दो शरीर इक जान
कह दो अब है क्या मजबूरी
अब मुश्किल है इतनी दूरी
अनुपम जोड़ी प्रभु निर्मित यह
मिलन बिना क्यों रहे अधूरी
सोच समझकर उत्तर दे दो
छोड़ो अधिक गुमान
आओ संग बिताएँ जीवन
है न्यौछावर मेरा तनमन
प्यार बिना जीवन सूना है
इसे सजा दो बनकर दुल्हन
ऐ मेरे मनमीत बना दो
जीवन स्वर्ग समान