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सुनिए तो क्या कहता है / नमन दत्त
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सुनिए तो क्या कहता है।
इक दीवाना गाता है॥
पूछो दुनिया कि हस्ती,
कहने भर का नाता है॥
हर पल आँखों के आगे,
कोहरा छँटता जाता है॥
जिसने छोड़ दिया सब कुछ,
वो ही सब कुछ पाता है॥
पानी पर छाया जैसा,
जीवन मिटता जाता है॥
क्या गुज़री होगी दिल पर,
वो जो अश्क बहाता है॥
कहकर उनसे रंजो ग़म,
क्यूँ ख़ुद को तड़पाता है॥
पल पल उम्र बढ़े, लेकिन
जीवन घटता जाता है॥
भूल भी जा, जो बीत गया,
अब काहे पछताता है॥
'साबिर' कह डालो दिल की,
वक़्त गुज़रता जाता है॥
कितनी मौत मरा 'साबिर'
फिर भी जीता जाता है॥