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सुनियौ हौ राजा राजा दरबी / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सुनियौ हौ राजा राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
बारह बरिस के नौकरी केलीयऽ राजा ड्योढ़ीमे
सभ दरमाहा जोड़ि के दऽ दय।
चलि जेबै हम मोकमागढ़मे।
सब दरमाहा राजा जोड़ि कऽ हमरा दऽ दिअ हौ।
एत्ते बात चुहरा बोलै छै
तब जवाब राजा सोचैय
सुन हौ पलटन जल्दी सुनिलय
जल्दी हिसाब चुहर के कऽ दय
कते दरमाहा चुहर के लगैय
फटाफट हिसाब मंशी जखनी करैय यौ।।
काटि-खोटि के बराबर केलकै
दरमाहा बेइमानी चुहर के करै छै
उनटे गिरामी चुहर पर गिरौलकै
सुनऽ सुनऽ हौ चुहर सुनिलय
हौ सभ दरमाहा हौ चुहरमल देलीअ
एको पाइ दरमाहा तोहर नै रहलऽ
दुइ पाय गिरानी गिरलऽ
तोरा पर गिरामी चुहरा गिरलऽ
एत्तेक वचनियाँ मंशी बजै छै
देहिया के बस्तर चुहर के छिनै छै
सवा लाख के जर्सी छीन लेल
डाँर के धोतीया चुहर के छीनैय
हकन-बिकन चुहर कनै छै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
कथी लय बेजत्तीया चुहर के करै छह
एहु तऽ धरमुआ नै बेइमनमा तोरा चाहै छह हौ।
हौ डाँर के धोतीया चुहरा लैलकै
नांगटे देह चुहरा भगाबैय।
हकन-बिकन चुहरा कानैय
सुनऽ सुनऽ सुनि ले गै चन्द्रा सुनिले
दिल के वार्ता तोरा कहै छी
जहिना तू हमरा नौकरी छोड़ौबलै
बिना कसूर के नौकरी छुटलै
एको पाइ दरमाहा नै देलही
उनटे गिरानी राजा गिरौलकौ
गै सवा लाख के जरसी छिन लेल
बाइस हाथ के दोपटा छिनलकै
नंगटे चुहरा ड्योढ़ीमे रहलै
एको रत्ती दया नै लगलौ
कान पकड़ि के चुहरा के ड्योढ़ी से निकालै छै यौ।
से कनिते चुहरा हौ प्रेमी
हाय ड्योढ़ी पर से जाइ छै-2 यौ
हाय कनिते चुहरा ड्योढ़ी से निकललै
तब जबाब चन्द्रा के दै छै
सुनिलय गे चन्द्रा दिल के वार्त्ता
तहि तऽ लोभ से नौकरी छौड़ौलकै
बाप से भेंट तोरा हम करबौ
शादी नै भोग तोरा नै होयतौ
शादी करबै हम आय कोहबर घरमे गै।
एतबे कहि के चुहरा भगलै
दादा सलहेस के उरदी भेटलै
कोहबर घर के पहरा भेटलै
कोहबर घरमे नरूपिया जुमि गेल
चन्द्रा आय कोहबरमे पहरा करै छै
भागल चुहरा मोकमा जाइय
अधपेयिा चुहरा जुमि गेल
मने मन विचार चुहर करैय
हाय नारायण जुलुम बीतै छै
बारह बरिस हम नौकरी केलीयै
एको पाइ दरमाहा नै देलकै
सवा लाख के जरसी लऽ लेल
बाइस हाथ के दोपटा छिनलक
डाँर के धोती छिनलक
केना कऽ जेबै हम मोकमागढ़मे यौ।
कौने मुँहमा धराकऽ मोकमामे जयबै।
केना जेबै मोकमा नगरमे यौ।
एत्तेक बात आय चुहर सोचै छै
हम नइ जेबै मोकमा नगरमे।
जाबे हम चोरी नै पकरिया करबै
भागल चुहरा दुर्गा लग जाइ छै
दुर्गा मंदिर चुहरा गेयलै।
हकन बिकन चुहरा कनैय।
देवी घरमे चुहरा गिरैय।
सुनिलय गे सुनिलय देवी असामरि
हा तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
कनी दरशनमा देवीया हमरा दऽ दीयौ यै।।