भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुनु प्यारी मम बैन / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
सुनु प्यारी मम बैन, सुने जु पिय-मुख तैं सरस।
आजु भोर सुख-दैन जमुना-तट सब सखिन नै॥
बोले अति सुख मानि-’राधा-सी नहिं कतहुँ कोउ।
रूप-शील-गुन-खानि, परम प्रेमिका बिस्व महँ’॥
खिले तुरंत अमान सुनि सखियन के मुख-कमल।
निज सखि के गुन-गान प्रियतम के मुख-कमल तैं॥
धन्य-धन्य, अति धन्य, प्यारे प्रियतम के वचन।
सखी राधिका धन्य, जिनहि प्रसंसत आपु पिय॥