सुनै छेलियै जिनकोॅ नाम बरसो सें / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

सुनै छेलियै जिनकोॅ नाम बरसो सें
पढ़ै छेलियै जिनकोॅ कविता
आरो गीत कभी-कभी
प्रकृति-चित्रण सें भरलोॅ
शृंगार आरो भक्ति रसोॅ सें भींगलोॅ
कभी-कभी अंगिका कविहौ सें
जिनकोॅ प्रशंसा सुनतें-सुनतें
कान भरि जाय छेलै
हुनकोॅ अंगिका केरोॅ सेवा
संथाली सें कम नै
अंगिका केरोॅ इतिहास, व्याकरण
शब्दकोष, समीक्षा, निबंध, सब्भै लिखलकै
आरू आमरण लिखत्हैं रहलै
एतने नै
दोसरौ सें लिखैत्हैं रहलै
ऊ के छेलै?
संथाली भाषा आरो साहित्य के पुरोधा
अंगिका केरोॅ मनीषी
आरू हिन्दी केरोॅ सिद्धहस्त लेखक
आरू कवि
डॉ. डोमन साहु ‘समीर’।
छोॅ अप्रील 2005 केॅ
हुन्हीं ई संसार सें आँख मुनी लेलकै
हुनका आय 10 अप्रील 2005 केॅ
हम्में आपनोॅ हृदय कमलोॅ के टुटलोॅ फूलोॅ सें
श्रद्धांजलि अर्पित करै छियै।
भगवान हुनकोॅ आत्मा केॅ चिर शान्ति प्रदान करै
यहेॅ हमरोॅ विनती छै।

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