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सुनोॅ हो भैय्या, सुनें गेॅ बहिना / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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सुनोॅ हो भैय्या, सुनें गेॅ बहिना,
सुनों हो नगर के लोग
जगबा छोड़ि केॅ सबकेॅ एक दिन
अकेले जाय लेॅ पड़ेॅ।
पाई-पाई जोड़ के भैय्या
महल अटारी बनैल्हेॅ
जाय के बेरिया कोय साथ नै जैथौं
अकेले जाय. लेॅ पड़ेॅ।
धन-जन सुत मित रमनी सें
तोंय कत्तो-नेह लगावोॅ
तखनी कोय नै साथ निबैहथौं
अकेले रोबै लेॅ पड़ेॅ।
श्री सदगुरू शरण में जाय केॅ भैय्या
हरिनाम केॅ जानोॅ
हरिभजन ही साथें जैथौं
दोजख में जाय लेॅ नै पड़ेॅ।