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सुनो कवि / आत्मा रंजन
Kavita Kosh से
सुनो तो रे कवि
करो ज़रा याद
कब रोए थे तुम
कितना हुआ अर्सा
सचमुच
कब रोए थे!
लिख डाली हालांकि
इतनी कविताएँ
ताज्जुब
कहलाते कवि!