सुनो ख़ुश-बख़्त लोगो! लम्हए-नायाब आया है
ज़मीं पर पैरहन पहने बिना महताब आया है।
बना सकता है तुममें कोई काग़ज़-नाव बतलाओ
सुना है शहर में, ऎ शहरियो सैलाब आया है।
सुनो ख़ुश-बख़्त लोगो! लम्हए-नायाब आया है
ज़मीं पर पैरहन पहने बिना महताब आया है।
बना सकता है तुममें कोई काग़ज़-नाव बतलाओ
सुना है शहर में, ऎ शहरियो सैलाब आया है।