भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुनो दिल जानी मेरे दिल की कहानी तुम / ताज
Kavita Kosh से
सुनो दिल जानी मेरे दिल की कहानी तुम,
दस्त ही बिकानी बदनामी भी सहूँगी मैं।
देव पूजा ठानी हौं निवाज हूँ भुलानी तजे,
कलमा कुरान सारे गुनन गहूँगी मैं॥
श्यामला सलोना सिरताज सिर कुल्ले दिये,
तेरे नेह दाग में निदाग ह्वै दहूँगी मैं।
नन्द के कुमार कुरवान ताणी सूरत पै,
हौं तो तुरकानी हिन्दुआनी ह्वै रहूँगी मैं॥