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सुनो यशोदा नन्द दुलारे, मन मोहन गोपाल / रंजना वर्मा
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सुनो यशोदा नन्द दुलारे , मन मोहन गोपाल
बिना तुम्हारे सूना सूना , वृंदावन का भाल
जीवन जैसे एक पहेली , उलझन की भरमार
जो सुलझा ले उलझन सारी , गोट उसी की लाल
श्याम साँवरे अब तो आ जा , करते प्राण पुकार
रंग हीन जीवन मे बरसे , फिर रंगीन गुलाल
यादों का मैं बाँध चँदोआ, बैठी तान वितान
एक एक कर आती जायें , करती रहें धमाल
बहती जाये नित्य जिंदगी , ज्यों सरिता की धार
उलझाते रहते सिवार से , निशि दिन माया जाल
लहर गिराती भँवर खींचती , पाँव गये मझधार
अब तो प्राण कण्ठ तक आये , आकर श्याम सँभाल
कभी न भूले नाम तुम्हारा , कभी न होना दूर
बन कर सदा रहो मनमोहन , तुम तो मेरी ढाल