सुनो साँवरे प्यार तुम्हारा जब से आन बसा दिल मे / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा
सुनो साँवरे प्यार तुम्हारा जब से आन बसा दिल में।
बना लिया है प्राप्य तुम्हें है दिल अटका इस मंजिल में॥
तुम क्या जानो प्रीत प्यार को
निर्मम बन कर भरमाया ,
पहले प्यार जगाया मन में
फिर कहते सब है माया।
श्याम तुम्हारी इसी अदा ने डाल दिया है मुश्किल में।
सुनो साँवरे प्यार तुम्हारा जब से आन बसा दिल मे॥
रूप तुम्हारा झलक रहा है
धरा गगन में उपवन में
प्रतिबिंबित तुम ही मनमोहन
नील झील के दरपन में।
रहा नहीं कोई आकर्षण तुम बिन सागर साहिल में।
सुनो साँवरे प्यार तुम्हारा जब से आन बसा दिल में॥
बजी बाँसुरी अधर सुधा रस
की लेकर मृदु मादकता
तिरछी चितवन सरस तुम्हारी
भरती मन में पावनता।
उलझ गये हैं नैन तुम्हारे मस्तक के काले तिल में।
सुनो साँवरे प्यार तुम्हारा जब से आन बसा दिल में॥