भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुन्दरता की शक्ति / अलेक्सान्दर पूश्किन / हरिवंश राय बच्चन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने सोचा था मेरा दिल शान्त हुआ ऐसा बुझकर
मधुर प्रणय की ज्वाला इसमें कभी नहीं जल पाएगी,
मैंने कहा कि बीती घड़ियाँ, अन्त हुआ जिनका सत्वर,
नहीं पलटकर आएँगी फिर, नहीं पलटकर आएँगी ।

दूर गए उल्लास पुराने, दूर गईं अभिलाषाएँ,
दूर गए मनमोहक सपने जो थे आभा के आगार !
किन्तु सोचता था मैं जब यह लौट सभी तो वे आए,
उन्हें लिया था सुन्दरता ने अपने बल से पुनः पुकार !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : हरिवंश राय बच्चन