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सुन्दरादे तूं राहण दे पूरन जी तै प्यारा / मेहर सिंह

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बालक उम्र नादान पूरण की क्यूंकर कर दूं न्यारा।
सुन्दरादे तूं राहण दे पूरन जी तै प्यारा।टेक

एक तै एक अलहा साधु आ देख मेरे डेरे में,
सप्त ऋषि और मारकंडे किसी झलक लगै चेहरे मैं,
जती लोग सब एक छांट ले दिवा दूंगा फेरे मैं,
इस पूरनमल नै दूं कोन्या मनै मिलग्या था झेरे में,
घोर अन्धेरा छा ज्यागा और उजड़ हो डेरा म्हारा।1।

साची बात कहे बिना तै मैं भी ना उकूंगी,
ये तै सारे उम्र पुरानी के सै के इन्हें फुकूंगी,
खाकै मरूं कटारी आड़ै ए पड़ी पड़ी सूकूंगी,
तनै दुनिया कह सै भला-भला गोरख पर मैं तै तनै थूकूंगी,
पूरनमल तै जोट मिला दे हो इसकी गैल गुजारा।2।

सतवादी साधु बहोत घणै सै ये सारे झूठे ना,
यो पूरनमल तै बालक सै इस के दांत तलक टूटे ना,
किमै भगवान सी तूं भी दिखै इसे भाग तेरे फूटे ना,
कई साधु तै सै जन्मजती कदे धुणे तै उठे ना,
घणे भाजगे तेरे तै डरतै ईब लग पड़ रहा लारा।3।

हाथ जोड़ कै खड़ी अगाड़ी तेरे तै अरज करूं सूं,
पूरनमल नै घायल कर दी इस की मारी मरूं सूं,
जिब तै देखी शक्ल मनै मैं भागी-भागी फिरूं सूं,
दया ले लिए मरती की चरणां में शीश धरूं सूं,
मेहर सिंह कहै पुरण मिलज्या तै होज्या स्वर्ग किनारा।