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सुन्दरि चलली गंगादह रे आओर यमुना दह रे / मैथिली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सुन्दरि चलली गंगादह रे आओर यमुना दह रे ललना रे गंगा अहुंके अरजिया गंगा डुबी मरब हे
किये तोरा आहे सुन्दरी सासु दुख किये नन्दी किये दुख रे ललना किये तोरा परदेश गंगा डुबी मरब रे
जानी कानु जनि खिजु सुन्दरि जनि नैना नीर ढारु रे
नहिं मोरा आहे गंगा सासु दुःख नहिं नन्दी दुःख रे नहिं मोरा पिया परदेश बालक दुःख डुबी मरु रे
जनि कानु जनि खिजु सुन्दरी जनि नैना नोर ढारु रे ललना रे गंगाजी होयती सहाय कि पुत्र फ़ल पाओल रे


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से