भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुन्दर भोर / हरेश्वर राय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अम्बर के कोरा कागज़ प
ललका रंग छिंटाइल बा,
सोना रंग सियाही से जी
सुन्दर भोर लिखाइल बा I

नीड़ बसेरन के कलरव के
सगरो तान छेड़ाइल बा,
अंधकार के कबर के ऊपर
आस उजास रेंड़ाइल बा I

मंद पवन मकरंद बनल बा
नीलकमल मुसुकाइल बा,
मोती रूप ओस धइले बा
गुलमोहर शरमाइल बा I

भानु बाल पतंग बनल बा
तितली दल इतराइल बा,
कोयल, संत, सरोज, बटोही
सबके मन अगराइल बा I