भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुन्दर स्याम मनोहर मूरति श्रीव्रजराज कुंवर बिहारी / सुन्दरकुवँरि बाई
Kavita Kosh से
सुन्दर स्याम मनोहर मूरति श्रीव्रजराज कुंवार बिहारी।
मोर पखा सिर गुंज हरा बनमाल गरे कर बंसिका धारी॥
भूषन अंग के संग सुशोभित लोभित होत लखैं ब्रजनारी।
राधिका-बल्लभ मो दृग-गेह बसौ नवनेह रहौं मतवारी॥