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सुन्दर हो तुम मनमोहन हो नेरे अंतरयामी / काजी नज़रुल इस्लाम

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सुन्दर हो तुम मनमोहन हो नेरे अंतरयामी।
फले फूले हो तुम दुनिया में तुम हो मेरे स्वामी।।
जग में बिराजत तुम्हारी माया,
तुम्हारी दान है अमोसक काया
इन नैनों की ज्योति हो तुम तुम ही हो दिन यामी।।
चन्द्र सूरज तुम्हारे रूप है,
क्षण में बादल, क्षण में धूप है,
शक्ति मूक्ति तुम हो मेरे मोहे उधारो स्वामी।।