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सुन रे बुतरु / धनन्जय मिश्र
Kavita Kosh से
दादा-दादी
काका-काकी
मामा-मामी
नाना-नानी
सब के सब छै
जीवित कहानी।
राम, कृष्ण भगवान छै
अल्ला, ईशु समान छै
इनके दम पर टिकलोॅ धरती
देवता रं इन्सान छै।
पढ़ोॅ-लिखोॅ सब नूनू बुतरु
तब्बे जीवन बजतौं तुतरु
तुतरु मिट्ठोॅ बोलै छै
सुख के सन्दूक खोलै छै।