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सुन लो हठीले कान्ह गोकुला को आना जाना / रमादेवी

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सुन लो हठीले कान्ह गोकुला को आना जाना,
चाहत छुड़ाना दैया बात कछू जानै ना।
सुनत हज़ारों ताना मिलत बहाना नाहिं,
देखना दिखाना श्याम शर मो पै ठानै ना॥

जाना बरसाना मोर इतै फेरि आना,
लाल शोर ना मचाना कंस राजा सुनि पावै ना।
'रमा' ने रमाना चित्त दही है बिराना,
लाल तनक चखाये बिना मन मोर मानै ना॥