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सुन सुन मैया हमर दिल के वार्त्ता / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सुन सुन मैया हमर दिल के वार्त्ता
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
हम नै जनलियै बड़ लोभीया
बात-बातमे हमरा ठकलकै
गै हमनै चिन्हलीयै छियै सतबरता
बराहमन बनि के स्वामी एलै
केना ललिसवा मैया पूरा हमरा भयतै गै।
एतबे वचनियाँ मालीन सब करैय
तब जवाब दुर्गा दइ छै
सुन गे मलीनियाँ तोरा कहै छी
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
गै भागि के देवता बेलकागढ़ गेलै
आजु मलीनियाँ मानिकदह गमबीयौ
चन्द्रग्रहण मलीनियाँ लगतै
गहन लगतै नरूपिया के
जहि दिन दह स्नान जे करतै
गहबरबामे दरशन करा देबौ गै
एतबे वचनियाँ मलीनियाँ सब सुनै छै
डेरा गिरौलकै मानिकदहमे
संझा पहर साँझ मालीन लेसैय
चौमुख दिया हौ दहमे लिखैय
बाट जोहै छै श्री सलहेस के
चारू थाड़ीमे पान लगबै छै
पान पनबटा पानमे जोगलै।
रातिमे चन्द्रग्रहण लगलै
होइत भोरमे दुर्गा जुमि गेल
सुनऽ सुन बेटा श्री सतबरता सुनि ले
चन्द्र ग्रहण बेटा लगि गेल
गहन नहाइ ले दुलरा चलियौ
देबा दहमे स्नान करीहै
गहन छोड़ाबे नरूपिया देवा दहमे यौ।
एतने वचनियाँ नरूपिया सुनै छै
मने मन नरूपिया सोचै छै
तबे जवाब दुर्गा के कहै छै
सुन गे कुटनी दुर्गा सुनिलय
गै पाँचो बहिनियाँ सती मलीनियाँ
मानिकदह पर बाट जोहै छै।
केना जेबै मानिकदहमे
तखनी ने देखतै सती मलीनियाँ
मारतै जादू सुग्गा बनबितै
सुग्गा बना पिंजड़ामे देतै
जे पिंजड़ा मोरंगमे जेतै
खाली गादी महिसौथा हमर भऽ जेतै।