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सुन सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे / हरि ठाकुर
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सुन सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे
आजा नैना तीर आजा रे
मैना तहीं मोर मैना
के तोर बिन खाली जिंदगी के पिंजरा
मोर सपना के सुन्ना हे फुलवारी रे
आजा मनके तीर आजा रे
राजा तहीं मोर राजा
बना के तोला आंखी में लगा लेंव कजरा
मैं तो बनें हंव राधा, तैं बनवारी रे~~
आजा जमुना तीर आजा रे
रानी तहीं मोर रानी
कि प्रीत के दिया मा झन छाए बदरा
नित भर रस पिचकारी रे, संगवारी रे
आजा जियरा तीर आजा रे