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सुबह-शाम / गिरधर राठी
Kavita Kosh से
उड़े चले आते हैं वायुयान
पक्षी
उड़ी चली जातीं आकांक्षाएँ
उड़ती हैं पत्तियाँ नीम की पतझर में
उड़े चले आते हैं किस्से अपराधों के