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सुबह-सुबह / हुम्बरतो अकाबल / यादवेन्द्र
Kavita Kosh से
रात के आख़िरी दौर में
सितारे उतारते हैं
अपने कपड़े
और नंग-धडंग नहाते हैं नदी में।
उल्लुओं की लोलुप निगाहें
उन पर होती हैं
और उनके सिर के ऊपर
उगे हुए नन्हे नन्हे पंख
सितारों को इस दशा में देख कर
उठ खड़े होते हैं।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र