भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुरमा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मेरी क़ीमत ये है / ग़ालिब

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुर्मा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र<ref>बिन खर्चे का सुरमा</ref> हूँ, मेरी क़ीमत ये है
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार<ref>ख़रीदार की आँख</ref> पे एहसां मेरा

रुख़्सत-ए-नाला<ref>रोने की अनुमति</ref> मुझे दे कि मुबादा<ref>ऐसो ना हो</ref> ज़ालिम
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर ग़म-ए-पिनहां<ref>छिपा हुआ दुःख</ref> मेरा

--बाकी ग़ज़ल जो छापी नहीं गई है---

ख़लवत<ref>एकांत</ref>-ए आबिला-ए-पा<ref>घायल पैर</ref> में है जौलां<ref>दौड़ता हुआ</ref> मेरा
ख़ूं है दिल-तंगी-ए वहशत से बयाबां मेरा

हसरत-ए नशा-ए वहशत न ब सअई<ref>सहायता</ref>-ए दिल है
अ़रज़-ए ख़मयाज़ा<ref>नुकसान</ref>-ए मजनूं है गरेबां मेरा

फ़हम<ref>समझ</ref> ज़न्जीरी-ए-बेरबती-ए दिल है या रब
किस ज़बां में है लक़ब<ref>उपाधि</ref> ख़्वाब-ए-परेशां मेरा

शब्दार्थ
<references/>