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सुरसत, लिछमी / कन्हैया लाल सेठिया

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सुरसत मा सूंप्या मनैं
सबद रतन अणमोल
लिछमी मासी वर दियो
तुलसी हीरां तोल,
के लिखणो सोच्यां पछै
कलम उठाई हाथ
नहीं जणां घाली मती
सबदां रै गळबाथ