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सुर्ख़ अपने खून से नीला गगन हो जायेगा / कुमार नयन
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सुर्ख़ अपने खून से नीला गगन हो जायेगा
साथियों रुक जाओ ज़ख़्मी आसमां हो जायेगा।
शाख़ पर गुल का तबस्सुम तितलियों की है फ़ज़ा
छेड़ मत हरगिज़ इन्हें वीरां चमन हो जायेगा।
आपको मालूम होगी जब हक़ीक़त एक दिन
बुतपरस्ती छोड़कर मन बुतशिकन हो जायेगा।
तुम गुज़र जाओगे सचमुच इंक़लाबी दौर से
अज़्म जिस दिन से तुम्हारा पैरहन हो जायेगा।
तुम सियासत-दां को क्या पहचान पाओगे भला
सामने रहबर तो पीछे राहजन हो जायेगा।
एक ही धरती के सब इंसान हैं मानोगे जब
शख्स हर इक मुल्क का तब हमवतन हो जायेगा।
शायरी में इस क़दर तू डूब-उतराने लगा
देखना अल्ला क़सम शफ्फाक मन हो जायेगा।