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सुविधा से परिणय मत करना / शिव ओम अम्बर
Kavita Kosh से
सुविधा से परिणय मत करना,
अपना क्रय विक्रय मत करना।
भटकायेंगी मृगतृष्णाएँ,
स्वप्नों का संचय मत करना।
कवि की कुल पूँजी हैं ये ही
शब्दों का अपव्यय मत करना।
हँसकर सहना आघातों को,
झुकना मत, अनुनय मत करना।
सुकरातों का भाग्य यही है,
विष पीना विस्मय मत करना।