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सुषमा स्वराज जी-श्रद्धांजलि गीत / नवीन कुमार सिंह

देखकर गौरव के क्षण को बढ़ गया है हर्ष मेरा
लग रहा साफल्य मण्डित हो गया संघर्ष मेरा
अब विजय रथ डोर, मैं तुमको थमाना चाहती हूँ
गोद में माँ भारती के अब समाना चाहती हूँ

नीति का ना हो हनन, तुम बात इतनी याद रखना
दुश्मनों का हो मरण, तुम बात इतनी याद रखना
यूँ लकीरें खींच देना, देश के तुम सरहदों पर
फिर न हो सीता हरण, तुम बात इतनी याद रखना

जो किया है स्नेह संचित वह लुटाना चाहती हूँ
गोद में माँ भारती के अब समाना चाहती हूँ

यह सकल भारत ही है मेरे लिये परिवार मेरा
आपसब का हौसला ही है प्रबल हथियार मेरा
अब चली मैं चिर निद्रा के लिए, लेकर विदाई
बस यही तक था निभाना मुझको भी किरदार मेरा

स्वर्ग में भारत के गौरव गीत गाना चाहती हूँ
गोद में माँ भारती के अब समाना चाहती हूँ