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सुहानी सुबह / महेन्द्र भटनागर

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जीवन की हर सुबह सुहानी हो !

भर लो हास बहारों का
नदियों कूल कछारों का
फूलों गजरों हारों का

कन-कन की हर्षान्त कहानी हो !

मीठा राग विहंगों का
पागल प्रेम उमंगों का
अंतर लाज-तरंगों का

छलिया दुनिया नहीं बिरानी हो !

शीतल नेह निगाहों से
भर दो दुनिया चाहों से
प्यार भरे गलबाहों से

लहकी-लहकी मधुर जवानी हो !