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सूई री निरमळ / कन्हैया लाल सेठिया
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सूई री निरमळ
काया में
एक ही छेकलो है
फेरूँ भी पड़ै
बार बार बंधणू,
मैला मन तू तो
हुयोड़ो पड़यो है
चालणी बेझ,
भोत दोरो है
थारो
ध्यारी में स्यूँ निकळणूं !