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सूखे पेड़ों पे फूल आते हैं / नीरज गोस्वामी
Kavita Kosh से
आप जब टकटकी लगाते हैं
सूखे पेड़ों पे फूल आते हैं
कान में बाँसुरी सी बजती है
आप जब नाम से बुलाते हैं
तेरे मिलने का भरोसा जिनको
वो हवाओं में उड़ते जाते हैं
मत सुनाऐं कहानियाँ झूठी
आप के होंठ लरज जाते हैं
तुझे भूले नहीं वो लोग बता
जा के गंगा में क्यूँ नहाते हैं
शमा बेफ़िक्र हो के गलती है
सिर्फ परवाने जलते जाते हैं
साथ ग़म या ख़ुशी में देने को
अश्क अपने ही काम आते हैं
आज के रहनुमाँ हैं प्यासे को
ख़ुद समंदर में छोड़ आते हैं
धुंध आँखों में उतर आती है
याद नीरज वो जब आते हैं