भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूखे फूल / आभा पूर्वे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज भी बिखरी हैं
फूलों की वे
पंखुड़ियाँ
मेरे आस-पास
तुम
करीब आकर तो देखो
पंखुड़ियों को
फूल बना दूंगी ।