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सूझती आंधी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
लेगी
खोस’र
कंूपळ
कळी
पानड़ा
चोरटी आंधी
पण
कोनी
घाल्यो
चुभणै रै डर स्यूं
कांटा रै हाथ
जणां पड्यो रूंख नै ठा सूझै हो बीं नै तो
सोक्यूं
कुण कवै आंधी ?