मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सूतल छलहुँ बाबा केर हवेलिया, अझटेमे आबि गेल कहाउत
एक बेर एलै नउआ, दोसर बेर ब्राह्मण, तेसर वरक जेठ भाइ
एक कोस गेली सिया, दुइ कोस गेली, चलि गेली यमुना किनार
ओहार उठा कए जौं ताकलनि सीता, छूटि गेल बाबा केर राज
पर घर गेलिअइ, पर पुतोहु भेलिअइ, मिनती करैते दिन जाइ