भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूतल सेजरिया सखी देखेली सपनवाँ / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
सूतल सेजरिया सखी देखेली सपनवाँ
निरमोही कान्हा बंसिया बजावेला हो लाल।
सब सखी मिली जुली गावेली कजरिया
से राधारानी झुलुआ झुलावेली हो लाल।
जमुना किनारवा जमुनवाँ के गछिया
चितचोर कान्हा मतिया भोरावेलें हो लाल।
कहत महेन्द्र श्याम भइले निरमोहिया
से नेहिया लगाइ इगा कइले हो लाल।