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सूना सूना घर लगे / पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
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सूना-सूना घर लगे, सूना लगता द्वार।
बेटी अब तेरे बिना, बिलख रहा परिवार॥
रोज दवाएँ खोजते, बाबा जब हो शाम।
देता है कोई नहीं, अम्मा को आराम।
छोटी-छोटी रट रहा, भइया है बीमार।
बेटी अब तेरे बिना, बिलख रहा परिवार॥
गाय नहीं खाती ज़रा, डली सामने घास।
भूल गया है राम को, मिट्ठू बड़ा उदास।
गौरैया भी उड़ गई, बाकी खर-पतवार।
बेटी अब तेरे बिना, बिलख रहा परिवार॥
चौका मुझको काटता, डाँट रहा सामान।
तेरी बातें सब करें, सबको तेरा ध्यान।
लगा हृदय में आजकल, यादों का अंबार।
बेटी अब तेरे बिना, बिलख रहा परिवार॥