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सूम पतिनी सो कहै सुन सपने की बात / रामजी

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सूम पतिनी सो कहै सुन सपने की बात ,
अकथ कहानी रात बरसत हारो तो ।
चानी मे खरो तो जिमि गाढ़ि के धरो तो ,
ताहि मन मे बिचारि खोदि हाथ को निकारो तो ।
कहै कवि राम आयो कवि एक ताही समै ,
कवित्त पढ़ो तो हौँ तो दीबो अनुसारो तो ।
होतो कुलदाग बड़े जेठन के भाग अरे ,
जागि न परो तो मैं रुपैया दिये डारो तो ।


रामजी का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।