भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूरज के पाँवों में मुझे छाला नहीं मिला / राहुल शिवाय
Kavita Kosh से
सूरज के पाँवों में मुझे छाला नहीं मिला
जुगनू से आसमां को उजाला नहीं मिला
पत्थर में शिव की प्राप्ति उन्हें हो नहीं सकी
जिनको कि आदमी में शिवाला नहीं मिला
अब शक भरी निगाहों से उसको न देखिए
उसकी तो दाल में कहीं काला नहीं मिला
ज़ख्मों को देख सिर्फ़ नमक बाँटते हैं लोग
कोई भी दर्द बाँटने वाला नहीं मिला
जो सच था उसको लोगों ने अफ़वाह कह दिया
सच्ची ख़बर में उनको मसाला नहीं मिला
इफ़तारी जम के राजभवन में थी चल रही
भूखों को रास्ते पे निवाला नहीं मिला
धरती से जो लिया उसे धरती को दे दिया
किरणों के पास चाबी या ताला नहीं मिला