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सूरज के साथ / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
तुमने ! जन-जन के मन
भाषण में बाँध दिए
हमने अपने तन, मन
राशन में बाँध दिए
सुबह दिए काम-धाम
शाम के गिने सलाम
सूरज के साथ, एक
बासन में बाँध दिए
चतुर-चपल, बोल-वचन
सने हाथ, बुझे नयन
एक टूक, एक घूँट
आसन में बाँध दिए