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सूरज कौंल (सूरज कुँवर) / भाग 1 / गढ़वाली लोक-गाथा

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एक दिन कुंवर त्वैक<ref>तुमको</ref>, राति का बीखैमा<ref>बीच</ref>,
नागू का सूरजू बाला, सुपीनो ह्वै गये।
राति हैवै थोड़ा त्वीन, स्वोंणो जम्पे भौत,
पौछिगे सूरजू, जैकी ताता लूहागढ़।
सुपीना मा देखे तिन राणी जोत माला,
देख्याले सूरजू तिन, राणी को बंगला।
जै राणी को होलो आज ठैठाई को रंग,
सुतरी<ref>साफ</ref> पलंग जैं को नेलू झमकार।
कवासुली<ref>गद्देदार</ref> सेज जैंको धावणिया घांड,
हिया च सुरीज<ref>सूरज</ref> जैंको पीठी चंदरमा।
कमरी दिखेंद जैंकी कुमाली सी ठांणा,
बिणोटी दिखेंद जैंकी डांडा सी चुडीणा।
सिंदोली<ref>माँग</ref> दिखेंद जैकि धौली<ref>गंगा</ref> जैसो फाट<ref>फैलाव</ref>,
फिलीरी दिखेद जैकि धोबी सी मुंदरी,
नाकुणी दिखेंद जैंकि खडक सी धार,
ओठणी दिखेंद जैकि दालिमा सी फूल,
दांतुणी दिखेंदी जैकि जाई जैसी कली।

बैठायो को रंग तै को कोठायँ टूटद,
सोवन<ref>सोना</ref> सिन्वाणी<ref>तकिया</ref> जैकी रूपा<ref>चाँदी</ref> की पैद्धाणी<ref>पायदान</ref>।
रांड की जोतरा देंदा जलमू की बोली,
तु हवेलू कुंवर सांचू सिंहणी सपूत,
तू ऐल्यो कंवर मेरा ताता लूहा गढ़।
सिंहणी को ह्वैलो ऐलो ये बांका भोटंत,
स्यालणी<ref>गीदड़</ref> को ह्वेलो रैल्यो भीमली बजार।
नौ दिन नौ राति बाला गिजनारै गये,
नौ लाख कैतुरी कौल धाम झअल एगे।
धाम झअल येगे बेटा सभा सुन्न रैगे,
चचड़ैकी<ref>हड़बड़ाकर</ref> उठीकौल बवरैकी<ref>बड़बड़ाकर</ref> बीज।
जाग दो ह्वे जांदी हे नाग सुरीज।
जागदो ह्वे गये बाला कांटो को सुरीज।
तेरि जिया<ref>माँ</ref> नागीण बाला धावड़ी<ref>आवाज</ref> लगौंदा।
किलैकी सुरजू बेटा कछड़ी नी औन्दो,
किलैकी सूरजू आज ठउ नी जिमदो।
नौ दिन ह्वेगैना मैंन सूरजू नि देख्यो,
कागई सूरजू मेरा यकुला येकन्तू।
त्वी बिना कुंवर तेरी भीमली सुन्न ह्वेगी।
तेरी भुली सूरजी त्वे धावड़ी लगौंदा,
त्वीकुणी सूरज कनी उनिन्दा पड़ी च।
घाम झअल यैगे बेटा, सभा सुन्न ह्वेगे।
चचडैकि उठी कौल बवरैकि बीजे।
ऐगये सूरजू कौल नौरंगी तिवारी।
मैं सणी जिया ब्वै आज सुपीनो ह्वेगे,
सुपीन मा देखे मैंन राणी जोतमाला
मैंन जाणा इजा वे ताता लूहागढ़।

रांड की जोतरा देंदा, जलमू की बोली,
सिहणीं को ह्वेली ऐली ताता लूहागढ़।
स्यालणी को ह्वैलो रैलो भिमली बाजार।
क्वी सोरो<ref>सहजाति वाला</ref> जांचदो वैकू बांट-बांटी देन्दो।
क्वी बैरी जांचदो मीकू हत्यारा भीड़ देन्दू।
तिरया को जांचणो मीकू मारणो ह्वे गयी।
मोरणो ह्वे जाना जिया जोतरा का बाना।
भौंकुछ ह्वे जाना मैंन जाणा लूहागढ़
कित<ref>या तो</ref> लेलो जोतरा इजा किन रौलो नाटो<ref>अविवाहित</ref>,
ह्वेगैना जिया ब्वे मेरा बांही का बचन।
त्वेतई जिया ब्वै बाला, बुझौणी बुझौंद,
नि जाणों कुंवर मेरा बैरा का भकौंणा,
निल्हौणो सूरजू तिन जोतरा को भामों।
नि जाणो सूरजू बाला ताता लूहागढ़।
तू छई कुंवर मेरो इकलो यकन्तो
तु छई कुंवर मेरो कांठा सि सूरज।
तू छई कुंवर मेरो चन्दन सि गेंद,
तू छई कुंवर बाला पालिंगा सि गेंद।
तू ह्वेलू सूरजू मेरा धार्णिया सि ठुंसू।
तेरो बाबू गैछो<ref>गया था</ref> बेटा घर बौड़ी<ref>लौट कर</ref> नि होये,
तेरो दादो गैछो बेटा बौड़ी कि निआयो,
जो गैना भोटन्त बेटा बौड़ी<ref>लौट कर</ref> की नि आयो,
तेरो दिदा<ref>बड़ा भाई</ref> बरमी रैगे बरमी डुग्यूँ पर।
तेरी तिल्लू<ref>बकरी का नाम</ref> बाखारि<ref>बकरी</ref> बेटा छट-पट छ्यूंदा<ref>छींक</ref>,
मान्याल कुंवर त्वेकु असगुन ह्वेगे।
हून्दी मऊ कु बेटा कांदली नि हून्दी,

शब्दार्थ
<references/>