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सूरज खींच रहा है फोटो / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
सूनी सड़क
अकेली युवती
बेलबाटम
कुरते में निकली,
सूरज
खींच रहा है फोटो
हर क्षण
हर मुद्रा की उसकी,
‘क्लोज़-अप’ में
बस वही-वही है :
कटे बाल की-
बीस बरस की-
बड़ी-बड़ी आँखों से हँसती युवती
और नहीं है कोई।
रचनाकाल: २४-०६-१९७२, मद्रास