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सूरज हमारा होगा / ब्रजमोहन
Kavita Kosh से
न कोई भूखा होगा न बेसहारा होगा
जीवन ही जीवन को जीने का सहारा होगा
इक-दूसरे का जीवन जीवन से प्यारा होगा
कल होगी सुबह अपनी सूरज हमारा होगा ...
तिल-तिलकर मरना ये घुट-घुटकर जीना ये
कल रंग लाएगा अपना पसीना ये
घर सीखचों के ये बरबाद होंगे
कल होगी अपनी हम आज़ाद होंगे
दुनिया हमारी सारी जग ये हमारा होगा ...
टूटेंगे पिंजरे सब पँछी उड़ जाएँगे
धरती पे अम्बर को छू-छू के आएँगे
घर-गाँव-शहरों में मुस्काएगा जीवन
फूलों की तरह से खिल जाएगा जीवन
दुनिया का वो सबसे सुन्दर नज़ारा होगा ...
चेहरों पे मायूसी और न थकन होगी
मन में जो ख़ुशबू है वो ही चमन होगी
न अन्धे रास्तों पे अन्धा सफ़र होगा
जीवन की राहों में तेरा भी घर होगा
सुबह की आँखों में लाल सितारा होगा ...