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सूरज / सांवर दइया

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स्याणी-समझणी सिंझ्यां
दिन-भर रै
तप्यै-थक्यै-हारियै सूरज नै
पोढायो आपरै
समंदर महलां में
पण भोर रो भायलो सूरज
भाख पाटियां पैली’ज
जाय पूग्यो
पूरब रै आंगणै ।