भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूरज : अभिमन्यु / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जलम्यो गीगो
अगूण-आंगणै हरख

सूरज : अभिमन्यु
भेदण आगै आयो
मिजळै मौसम रो रच्यो
पोह-माघ रो धंवर-चक्रव्यूह

जूझै ऐकलो
अर
जूझ्यां ई जावै

म्हैं देखूं-
आभो साफ
चौफेर तावडो : हरख उजास

मुळकै सूरज : अभिमन्यु !