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सूरज : अभिमन्यु / सांवर दइया
Kavita Kosh से
जलम्यो गीगो
अगूण-आंगणै हरख
सूरज : अभिमन्यु
भेदण आगै आयो
मिजळै मौसम रो रच्यो
पोह-माघ रो धंवर-चक्रव्यूह
जूझै ऐकलो
अर
जूझ्यां ई जावै
म्हैं देखूं-
आभो साफ
चौफेर तावडो : हरख उजास
मुळकै सूरज : अभिमन्यु !