भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूरदास ने कभी कहा था / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूरदास ने कभी कहा था
नारी को शृंगार भाव से,
‘अद्भुत एक अनूपम बाग’।

युग बदला,
अब नारी बदली,
नहीं रही वह बाग पुरातन।

अब नारी है नर के साथ।
करनी करते उसके हाथ।

रचनाकाल: २१-०९-१९९१