सूरीनाम देश हमारा / देवानंद शिवराज
हैं हम सूरीनामी, सरनामी हिन्दुस्तानी,
हम हैं क्रियोल, इंगी, चीनी और जावानी
मिलकर सब पीते यहाँ एक कुएँ का पानी
करते हैं निज कर्म को रखते नहीं गुमानी
हैं हम सरनामी, सरनामी हिन्दुस्तानी।।
जाना माना यह बागीचा जिसमें रंग अनेकों फूल
इससे सीखो मिलकर रहना, रहो एक डाली से झूल
अपने वतन और झंडे की खातिर हम दे देंगे कुरबानी
हैं हम सरनामी, सरनामी हिन्दुस्तानी।।
समय-समय पर आते हैं पूर्वज याद हमारे
धर्म संस्कृति, भाषा गठरी लाए जो साथ में सारे
डॉक्टर, वकील, मिनिस्टर, राष्ट्रपति बने सभी सम्मानी
भूलेंगे ना कभी, टपके नैनों से पानी
हैं हम सरनामी, सरनामी हिन्दुस्तानी।।
पाँच बरस का गिरमिट काटे लौट गए कितने हिन्दुस्तान,
बाकी बस गए इसी मुल्क में इस माटी को माई मान
हिन्दी उर्दू पढ़ा पढ़ा कर गली गाँव में किया प्रचार
मेल बड़ी थी प्रबल सबों में जिसे देख डरती सरकार
अपने हक पर बली हो गए, है उनकी अकथ कहानी
हैं हम सरनामी, सरनामी हिन्दुस्तानी।।