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सूर्य कभी कौड़ी का तीन नहीं होगा / उमाकांत मालवीय

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सूर्य
कभी कौड़ी का तीन नहीं होगा ।

जन्म से मिली जिसको
कठिन अग्निदीक्षा
उसको क्या है
संकट, चुनौती, परीक्षा
सोना तो सोना है,
टीन नहीं होगा ।
 
लपटों के पलने में
जनम से पला है
सुलगती सचाई
की ध्वजा ले चला है
तिल तिल कर ढले, मगर हीन नहीं होगा ।

दर्द बड़े-छोटे हों
या कि हों मँझोले
विज्ञापित नहीं किए
टीसते फफोले
ग्रहण लगेगा तो भी
दीन नहीं होगा ।